इसबगोल: भारत के संदर्भ में उत्पादन, प्रमुख उत्पादक राज्य, प्रसंस्करण एवं मूल्य

इसबगोल, जिसे प्लांटैगो ओवाटा के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण औषधीय फसल है जिसके बीजों से चिकित्सीय गुणों वाला पदार्थ प्राप्त होता है। यह पाचन क्रिया, वजन घटाने और मधुमेह जैसी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए फायदेमंद माना जाता है। भारत इसबगोल का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है, और इस उत्पादन और प्रसंस्करण में गुजरात महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

गुजरात में इसबगोल उत्पादन:

  • क्षेत्रफल और उत्पादन:
    • गुजरात भारत में इसबगोल का सबसे अधिक उत्पादन करने वाला राज्य है।
    • 2024 में, किसानों ने लगभग 31,208 हेक्टेयर क्षेत्र में इसबगोल की खेती की थी।
    • पिछले पांच वर्षों में राज्य में इसबगोल का उत्पादन दोगुना हो गया है।
  • प्रमुख उत्पादक क्षेत्र:
    • कच्छ जिला इसबगोल उत्पादन में अग्रणी है, जिसकी हिस्सेदारी 36% है।
    • इसके अलावा, बनासकांठा, पाटन, और महेसाणा जिले भी इसबगोल उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण हैं।

गुजरात में इसबगोल प्रसंस्करण:

  • प्रसंस्करण इकाइयां:
    • गुजरात में इसबगोल प्रसंस्करण के लिए लगभग 30 इकाइयां हैं।
    • उंझा शहर इसबगोल प्रसंस्करण का केंद्र है, जिसे “इसबगोल की राजधानी” के रूप में भी जाना जाता है।
  • प्रसंस्करण प्रक्रिया:
    • इसबगोल के बीजों को इकट्ठा करने के बाद, उन्हें धोया जाता है, सुखाया जाता है और फिर छिलके निकालने के लिए मशीनों से गुजारा जाता है।
    • बीजों को फिर पीसकर पाउडर बना दिया जाता है, जिसे विभिन्न औषधीय और स्वास्थ्य उत्पादों में उपयोग किया जाता है।

गुजरात से इसबगोल का निर्यात:

  • निर्यात:
    • भारत से उत्पादित इसबगोल का 93% निर्यात किया जाता है।
    • अमेरिका, जर्मनी, इटली, यूके और कोरिया इसबगोल के प्रमुख आयातक देश हैं।
  • निर्यात मूल्य:
    • 2022-23 में, भारत के इसबगोल निर्यात का मूल्य $300 मिलियन तक पहुंच गया।

इसबगोल की बढ़ती मांग:

  • स्वास्थ्य लाभ:
    • इसबगोल के स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ने के कारण इसकी मांग बढ़ रही है।
    • इसका उपयोग पाचन क्रिया में सुधार, वजन घटाने, मधुमेह को नियंत्रित करने और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए किया जाता है।
  • कृषि लाभ:
    • इसबगोल एक कम पानी वाली फसल है जो कम उर्वरक और कीटनाशकों की आवश्यकता होती है।
    • यह किसानों के लिए एक लाभदायक फसल है, खासकर शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में।

निष्कर्ष:

गुजरात भारत में इसबगोल उत्पादन, प्रसंस्करण और निर्यात का केंद्र बन गया है। बढ़ती वैश्विक मांग और किसानों के बीच इसकी लोकप्रियता को देखते हुए, आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र में और भी अधिक वृद्धि होने की संभावना है।


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